ख्वाहिश ऐसी करो कि आसमान तक जा सको; दुआ ऐसी करो कि ख़ुदा को पा सको; यूँ तो जीने के लिए पल बहुत कम हैं; जियो ऐसे कि हर पल में ज़िंदगी पा सको। |
जो हो गया उसे सोचा नहीं करते; जो मिल गया उसे खोया नहीं करते; हासिल उन्हे होती है मंज़िल; जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते। |
निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने बहुत कोशिश की; मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे। |
दुनिया का हर शौंक पाला नहीं जाता; कांच के खिलौनों को उछाला नहीं जाता; मेहनत करने से हो जाती है हर मुश्किल आसान; क्योंकि हर काम तक़दीर पर टाला नहीं जाता। |
मंज़िले इंसान के हौंसले आज़माती हैं; सपनों के परदे आँखों से हटाती हैं; तू हिम्मत मत हारना ऐ दोस्त; क्योंकि ठोकरें ही तू इंसान को चलना सिखाती हैं। |
जो सफर की शुरुआत करते हैं; वो मंज़िल को पार करते हैं; एक बार चलने का हौंसला रखो; मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं। |
तूफ़ान में कभी ताश का घर बनता; रोने से कभी बिगड़ा मुक़द्दर नहीं संवरता; दुनिया को जीतने का हौंसला रखो; एक बार हारने से कोई फ़क़ीर नहीं बनता; एक बार जीतने से कोई सिकंदर नहीं बनता। |
तारों में अकेला चाँद जगमगाता है; मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है; काँटों से मत घबराना मेरे दोस्त; क्योंकि काँटों में ही तो एक गुलाब मुस्कुराता है। |
हर दर्द की पहचान होती है; ख़ुशी चंद लम्हों की मेहमान होती है; वही बदलते हैं रुख हवाओं का; जिनके इरादों में जान होती हैं। |
आ छू ले आसमान को, ज़मीन की तू आस न कर; हँसते हुए जी ले ये ज़िन्दगी, खुशियों की तू तलाश न कर; ग़मों को कर दे दूर तेरी किस्मत भी बदलेगी; सीख ले तू मुस्कुराना, हारने की तू परवाह न कर। |