मेरी एकमात्र इच्छा ये हैं कि भारत को एक अच्छा उत्पादक होना चाहिए और यहाँ कोई भी भूखा नहीं रहना चाहिए। और भोजन के लिए किसी के आंसू नहीं गिरने चाहिए। |
किसी समाज, देश या व्यक्ति का गौरव अन्याय के विरुद्ध लड़ने में ही परखा जा सकता है। |
विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए अनिवार्य है। |
श्रमशक्ति में एकता बिना ताकत नहीं होती, और जब इन दोनों में सामजस्य बैठा लिया जाता है, और पूरी तरह से एक जूट हुआ जाता हैं तभी यह एक आध्यात्मिक शक्ति बनती है। |
राष्ट्रीय स्तर की व्यापक समस्याएँ नैतिक दृष्टि धूमिल होने और निकृष्टता की मात्रा बढ़ जाने के कारण ही उत्पन्न होती है। |
राष्ट्रोत्कर्ष हेतु संत समाज का योगदान अपेक्षित है। |
हमें अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी चाहिए और लोगों को भी उनकी जिम्मेदारी उठाने के लिए समझाना चाहिए। |
देश को वास्तविक स्वतंत्रता आज़ादी के 64 साल बाद भी नहीं मिली और केवल एक बदलाव आया गोरों की जगह काले आ गए। |
मैं चिंतित हूँ कि कुछ असंवेदनशील लोगों द्वारा शासित इस देश का क्या होगा, लेकिन हम उन्हें जनशक्ति द्वारा बदल सकते है। |
राष्ट्र के उत्थान हेतु मनीषी आगे आयें। देश कभी चोर उचक्कों की करतूतों से बरबाद नहीं होता बल्कि शरीफ़ लोगों की कायरता और निकम्मेपन से होता है। |