जैसे फूली हुई रोटी कभी कच्ची नहीं होती; वैसे ही ब्रा पहनी हुई लड़की कभी बच्ची नहीं होती। और जैसे मगरमच्छ के आंसू कभी सच्चे नहीं होते; वैसे ही मुंह में लंड देने से बच्चे नहीं होते। |
बिहार के गाँवों में आज भी फिल्म का प्रचार ट्रकों से किया जाता है। एक दिन कुछ ऐसी घोषणा हुई: फिल्म का नाम: बड़े घर की बहुरानी। "बड़े घर की बहुरानी का मज़ा लीजिये, दिन में पांच बार, 9 से 12, 12 से 3, 3 से 6, 6 से 9 और रात 9 से 12।" ऊपर के 60 रूपए, नीचे के 30 रूपए। |
अकबर, बीरबल से, "हमारी मूंछ के कितने बाल हैं?"
बीरबल: 12256। अकबर: अगर कम ज्यादा हों तो? बीरबल: कम हो तो बेगम की झांटों में फंसे होंगे और ज्यादा हों तो बेगम की झांटे मुंह में फंसी होंगी। |
चुंबन (Kiss) करते हुए भले ही नाक बीच में ना आती हो; लेकिन; . . . . . . बंदी (Female) लड़कों का हाथ जरूर पकड़ लेती है। |
कंडोम विक्रेता: कंडोम चाहिए क्या? ग्राहक: कम दाम का खुशबुदार है तो दे दो। विक्रेता: लौड़े पे अगरबत्ती का प्लास्टिक लगा के चोद भोसड़ी के। |
जब किसी का एक्सीडेंट (Accident) हो जाता है तो अलग-अलग देशों में लोग किस तरह प्रतिकिया देते हैं: अमेरिका: ओह माय गॉड! पाकिस्तान: या अल्लाह! अफ्रीका: ओ ला ला! ऑस्ट्रेलिया: गोट अ हिट! और भारत में: माँ चुद गई बहन के लौड़े की, और तेज़ चला। |
आशिक: बाबा आपके आरती उतारने में और हमारे पेंटी (Panty) उतारने में क्या समानता है? बाबा जी: "बच्चा आरती उतारने से हमें मन की शांति मिलती है और पेंटी उतारने से हमें तन की शांति मिलती है।" |
एक लड़की को हरे सूट में देख कर एक लड़का बोला, "पूरी हरी भरी फसल लग रही है।" लड़की: भैया तेरा जीजा रोज़ रात को दो बार पानी जो लगाता है, तो हरी क्यों ना होऊं। |
सास: आने दो मेरे बेटे को उसे बैठकर समझाउंगी तेरी करतूत। बहु: कोई फैदा नहीं। सास: क्यों? बहु: तुम बैठकर समझाओगी और मैं लेट के मना लूंगी। |
हम कुरकुरे के विज्ञापन में कोई पुरुष मॉडल को क्यों नहीं इस्तेमाल करते? क्योंकि ऐसा आदमी ढूंढना बहुत मुश्किल है जो कहे, "टेढ़ा है पर मेरा है!" |