भक्त: बाबा ये लड़कियों के निप्पल्स के आस-पास छोटे डॉट्स क्यों होती हैं? बाबा: ये अंधे भाईयों के लिए ब्रेल लिपि में लिखा है, "कृपया यहाँ चूसे!" |
लड़का: मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ। लड़की: क्या तुम ब्रिटेन से कोहिनूर ला पाओगे? लड़का: जो चीज, केमिस्ट की दुकान पर आराम से मिल सकती है उसे ब्रिटेन से लाने की क्या जरुरत है? |
भक्त निर्मल बाबा से: बाबा हर साल बच्चा पैदा हो जाता है, क्या करूँ? निर्मल बाबा: कंडोम इस्तेमाल करते हो? भक्त: हाँ करता हूँ। निर्मल बाबा: कंडोम मोहल्ले में भी बाँट दिया करो... कृपा वहीं से आ रही है! |
ज़िन्दगी में छोटी-छोटी चीज़ें बहुत मायने रखती हैं! जैसे लौंडे शब्द में बिंदी! |
सास, बहू से: मेरे बेटे को खुश रखा कर। बहू: और कितना खुश रखूं? इतनी सर्दी में रात भर नंगी सोती हूँ। |
लड़की: भोसड़ी के तेरी गाँड मार लूंगी। लडका: प्रतिभा तो बहुत है आप में, लेकिन साधन नहीं है! |
सुलभ शौचालय की दीवार पर लिखा कड़वा सच: आती-जाती सरकारों से आपको जो मिला वो आपके हाथों में है! |
दोस्ती ऐसी होनी चाहिए कि कभी अकेले निकलो तो मोहल्ले वालों के दिल में सवाल उठे... . . . . वो दूसरा मादरचोद कहाँ है? |
बचपन की मासूमियत खो गयी। ये तब जाना जब चोट लगने पर "ओह माँ" की जगह पर "इसकी माँ का" निकलने लगा। |
देश में शराफत का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि... कोई ऐसा नहीं है जो मिया खलीफा को नहीं जानता! |