बचपन सच में बहुत अच्छा था! तब सिर्फ़ "शक्ल" ही नहीं, "क़िस्मत" भी बहुत अच्छी थी! |
कल सैलून वाले की दुकान पर एक स्लोगन पढ़ा... "हम दिल का बोझ तो नहीं पर सिर का बोझ जरूर हल्का कर सकते हैं!" |
प्यार एक पूंजीवादी विचार है, लड़कियों के सपनों में राजकुमार आते हैं बेरोज़गार नहीं! |
सुबह - सुबह अखबार में पढ़कर धक्का सा लगा। "नोबेल फॉर आसाराम बापू!" सुनकर पिता जी बोले, "बेटा! दो शब्दों के बीच सुरक्षित अंतर रखो और फिर से पढो!" जब ठीक से पढ़ा तो समझ आया कि लिखा था "नो बेल फॉर आसाराम बापू!" सच में Social Distancing ज़रूरी है! |
हम उसको भेजते रहे सैनिटाइज़र और, वो किसी और के साथ क्वारंटाइन हो गए! |
इंसान को इतना भी पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए कि... अकेले में छींक आने पर खुद को भी सॉरी बोले! |
महिलाओं की ओर से गुजारिश: "जो लोग एक बार उम्र पूछ चुके होते हैं, वो दोबारा न पूछा करें!" "कम्बख़्त याद नहीं रहता, पहले क्या बताया था!" |
पहले "तबियत खराब है" लिखते ही पहले 20 लोग, मिलने चले आते थे! अब "तबियत खराब है" लिखते ही 20 लोग ब्लॉक कर देते हैं! |
7 बजते ही करोड़पति बनने की जो खुजली शुरू होती है, वो 10 बजे मूलधन बचने की प्रार्थना पर रुकती है! और वो भी नहीं बचा तो खिलाड़ियों को गाली देकर, आईपीएल फिक्सिंग बताकर सो जाते हैं! |
एक होते हैं बिज़ी रहने वाले लोग, फिर आते हैं बहुत बिज़ी रहने वाले लोग, और अंत में आते हैं वो जो ये सोचते हैं कि... अगर इसको थोड़ा रुक कर जवाब भेजूँगा तो इसे लगेगा कि मै बिज़ी हूँ! |