क्यों किसी की याद में रोया जाये; क्यों किसी के ख्यालों में खोया जाये; मेरा तो यही कहना है ऐ दोस्त; बाहर मौसम है ख़राब है, . . . . . . . . . क्यों ना रजाई ओढ़ के सोया जाये। |
'नहाना' मेरी समझ से परे है - जिस शब्द के आगे 'न' है और पीछे 'ना' है, उस पर हाँ करवाने पर ये दुनिया क्यों तुली है। |
मत ढूंढो मुझे इस दुनिया की तन्हाई में; . . . . . . . . यहीं हूँ मैं अपनी रजाई में! |
ठण्ड की बात तो कुछ ऐसी है, कि अगर 'WhatsApp' पर भी कोई लिख दे "Cool" तो भी बर्दाश्त नहीं होता। |
एक तो मेरी काम वाली की समझ नहीं आती कि मेरे साथ क्या दुश्मनी है! गर्मियों में आती थी तो झाड़ू मारने के लिए पंखा बंद कर देती थी; और अब सर्दियों में पोछा सुखाने के लिए पंखा चला देती है। |
हाय मेरी जान . . . . . . . . . . . . . निकल रही है - सर्दी से! |
ऐसे मौसम में क्यों ना मयख़ाना सजाएँ; चाय तो वो पीते हैं, जिनके लीवर में दम नहीं होता। |
बड़ी बेवफ़ा हो जाती है ग़ालिब ये घड़ी भी सर्दियों में; पाँच मिनट और सोने की सोचो तो, तीस मिनट आगे बढ़ जाती है। |
लड़का बस स्टॉप पर खड़ी लड़की से: मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ। लड़की: चल-चल जा कर मुँह धो कर आ। लड़का: भाड़ में जा, इतना भी प्यार नहीं करता कि इतनी ठण्ड में मुँह धोने जाऊं। |
लगता है भगवान ने आज दबंग फिल्म देख ली है! ऐसा मौसम बनाया है कि लोग कन्फ्यूज हैं कि स्वेटर पहने की रेनकोट। |