एक लड़की नये टाइट जूते पहन कर मुश्किल से चल पा रही थी। एक बुढ़िया ने उसे देख कर पूछा, "छोरी नये जूते खरीद के लाई के?" लड़की हरियाणे की थी। वो हरियाणवी ही क्या जो सीधा जवाब दे। लड़की बोली, "ना ताई पेड़ से तोड़े हैं।" ताई भी हरियाणवी थी। जवाब दिया, "छोरी, जल्दी कर दी। पकने देती तो तेरे नाप के हो जाते।" |
इस दुनिया का कोई "रंग" नहीं, कोई "ढंग" नहीं! पैसा पास हैं तो सब कुछ हैं, वरना कोई "संग" नहीं! |
बेशक पलट के देखो वह बीता हुआ कल है; पर बढ़ना तो उधर ही है जहाँ आने वाला कल है। |
अगर कोई आपसे कुछ माँगे तो दे दिया करो; शुक्र करो उपरवाले ने आपको देने वालों में रखा है, माँगने वालों में नहीं! |
अभिमान नहीं होना चाहिए कि मुझे किसी की ज़रूरत पड़ेगी और वहम भी नहीं होंना चाहिए कि सबको मेरी ज़रूरत पड़ेगी! |
किनारा ना मिले तो कोई बात नहीं, दूसरों को डुबा के मुझे 'तैरना' नहीं! |
बचपन में भाई बहन दिन में 5 बार नाराज़ होते थे और राज़ी हो जाते थे! अब बड़े होकर एक बार नाराज़ हो जायें तो फिर शायद सीधे जनाज़े पर मिलते हैं! |
हरियाणवी ते मेज़बान ने पूछा, "चौधरी साहब क्या लेंगे आप? हलवा लाऊं या खीर?" चौधरी: घर में कटोरी एक ही है के? |
शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी; पर चुप इसलिए हूँ कि जो दिया तूने वो भी बहुत लोगों को नसीब नहीं होता! |
संसार में मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसका ज़हर उसके दांतों में नहीं उसकी बातों में है! |