वकीलों के प्रति दिल में इज़्ज़त तब और बढ़ गयी जब आज कोर्ट में उन्हें बहस करते देखा! बिना गाली दिए बहस कर कैसे लेते हैं यार! |
परसों तो हद हो गयी, एक पुराने परिचित बहुत दिनों के बाद मिले, हालचाल पूछने के बाद बोले... . . . . . . . . और कहीं नौकरी लगी या अभी भी वकील ही हो। |
एक वकील ने खुद के बारे मे कहा... "हमारी शख्सियत का अंदाज़ा तुम क्या लगाओगे ग़ालिब, जब गुज़रते है क़ब्रिस्तान से तो मुर्दे भी उठ के पूछ लेते हैं, . . . . . . . . 'वकील साहब, अब तो बता दो कि केस खत्म हुआ या नहीं'।" |
वकील साहब अपने बेटे को भी काबिल वकील बनाने के लिए उसे झूठ बोलना सिखा रहे थे। एक दिन अपने बेटे की परीक्षा लेने की गर्ज से उन्होंने कहा, "बेटा, अगर मेरी बात खत्म होते ही तुम कोई झूठ बोलोगे तो मैं तुम्हें पांच रूपये इनाम दूंगा।" बेटा: लेकिन अभी-अभी तो आपने दस रूपये देने की बात कही थी। |
मुजरिम: कोशिश करना कि उम्र कैद हो जाये, मौत की सज़ा ना मिले। वकील: तुम फ़िक्र मत करो, फैंसला तुम्हारे हक़ में ही होगा। मुक़दमे के बाद: मुजरिम: क्या हुआ? वकील: बहुत मुश्किल से उम्र कैद करवाई है, वरना वो तो तुम्हें रिहा कर रहे थे। |
मुकदमा हार कर बाहर निकलते हुए व्यक्ति ने अपने विरोधी को चेतावनी दी, "मैं फैंसले की अपील करूंगा।" विरोधी: मैं अपील भी लड़ूंगा। व्यक्ति: मैं सुप्रीम कोर्ट में जाऊंगा। विरोधी: तुम्हारे स्वागत के लिए मैं वहां भी मौजूद रहूंगा। व्यक्ति: मैं नरक तक तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ूंगा। विरोधी: कोई बात नहीं वहाँ मेरा वकील जायेगा। |