हास्य Adult and Non veg Restricted Hindi Shayari

  • बहुत से लोगों को इश्क़ में पिघलते देखा है;<br/>
किसी को झाड़ियों में और किसी को गाड़ियों में हिलते देखा है!Upload to Facebook
    बहुत से लोगों को इश्क़ में पिघलते देखा है;
    किसी को झाड़ियों में और किसी को गाड़ियों में हिलते देखा है!
  • वो पेड़ ही क्या जो वक़्त के साथ बड़ा ना हो जाये;<br/>
और वो चूची ही क्या जिसे देखते ही लंड खड़ा ना हो जाये!Upload to Facebook
    वो पेड़ ही क्या जो वक़्त के साथ बड़ा ना हो जाये;
    और वो चूची ही क्या जिसे देखते ही लंड खड़ा ना हो जाये!
  • कुछ इस तरह इश्क़ में जिस्म और रूहें सट्ट जाती हैं;<br/>
तड़प लंड की होती है और चूत फट जाती है!Upload to Facebook
    कुछ इस तरह इश्क़ में जिस्म और रूहें सट्ट जाती हैं;
    तड़प लंड की होती है और चूत फट जाती है!
  • महसूस करनी थी तेरे दिल कि धड़कन ऐ ज़ालिम;<br/>
यही वजह थी तेरे ब्लाउज में हाथ डालने की!Upload to Facebook
    महसूस करनी थी तेरे दिल कि धड़कन ऐ ज़ालिम;
    यही वजह थी तेरे ब्लाउज में हाथ डालने की!
  • हर पैंटी में एक राज़ होता है,<br/>
हर ब्रा के खुलने का एक अंदाज़ होता है,<br/>
जब तक ना लगे लंड की कोई ठोकर,<br/>
हर लड़की को अपनी चूत पर नाज़ होता है!Upload to Facebook
    हर पैंटी में एक राज़ होता है,
    हर ब्रा के खुलने का एक अंदाज़ होता है,
    जब तक ना लगे लंड की कोई ठोकर,
    हर लड़की को अपनी चूत पर नाज़ होता है!
  • थोड़ा हवस भी लाजमी है इश्क़ में साहब;<br/>
वरना शुद्ध इश्क को वो मर्दाना कमजोरी समझेगी!Upload to Facebook
    थोड़ा हवस भी लाजमी है इश्क़ में साहब;
    वरना शुद्ध इश्क को वो मर्दाना कमजोरी समझेगी!
  • वो बोली,<br/>
`नकाब में भी पहचान लेते हो हज़ारों में हमें खड़े-खड़े!`<br/>
हमने मुस्कुरा के कहा, `आपके हैं ही इतने बड़े-बड़े!`Upload to Facebook
    वो बोली,
    "नकाब में भी पहचान लेते हो हज़ारों में हमें खड़े-खड़े!"
    हमने मुस्कुरा के कहा, "आपके हैं ही इतने बड़े-बड़े!"
  • अर्ज़ किया है:<br/>
खुदा बचाये हमें इन हसीनों से,<br/>
खुदा बचाये हमें इन हसीनो से,<br/>
लेकिन इन हसीनों को कौन बचाये, हम जैसे कमीनो से।Upload to Facebook
    अर्ज़ किया है:
    खुदा बचाये हमें इन हसीनों से,
    खुदा बचाये हमें इन हसीनो से,
    लेकिन इन हसीनों को कौन बचाये, हम जैसे कमीनो से।
  • अपने उसूल मुझे कल यूँ भी तोड़ने पड़े;<br/>
बात चूत की थी इसलिए मुझे हाथ जोड़ने पड़े!Upload to Facebook
    अपने उसूल मुझे कल यूँ भी तोड़ने पड़े;
    बात चूत की थी इसलिए मुझे हाथ जोड़ने पड़े!
  • तीर क्यों चलाती हो, जब धार है तलवार में;<br/>
चुचे क्यों दिखाती हो, जब माल है सलवार में।Upload to Facebook
    तीर क्यों चलाती हो, जब धार है तलवार में;
    चुचे क्यों दिखाती हो, जब माल है सलवार में।
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