'सपना' को देखकर 'सपने' मे 'स्वपनदोष' हो गया; 'सपना' भी बच गई ओर 'संतोष' भी हो गया। |
सींग नही होते लोमड़ी के, सींग नही होते लोमड़ी के, . . . . . . . और कैसा रहा आज का दिन भोसड़ी के? |
मोहब्बत की आजमाइश देते-देते थक गया हूँ ए-गालिब, लगता है अब पैसे देकर ही किसी की लेनी पड़ेगी। |
उसने उतारी साडी, फिर आई पेटीकोट की बारी; ब्लाउज तो पहले ही दिया था उतार; ज्यादा उत्साहित ना हो मेरे यार, यह तो था कपडे सुखाने का तार। |
कौन कहता है लंड यहां मूतने को आता है; हम खुश हुए कि हम भी इसकी उपज हैं; लेकिन अफ़सोस, यह तुम्हें मिलकर मालूम हुआ; कि यह तेरे जैसे गांडू भी बनाता है। |
चोद-चोद चोद गये, जब पकड़े गये छेदु राम हकीम; मसल-मसल के टपक-टपक लिए उन्होंने मज़े खूब। जान पे आन भनी जब साली की इश्क़ में गये डूब; बीवी ने भी खूब पकड़ा, जब मुँह में थे साली के बूब्स। |
चाहत तो थी उनके दिल में बस जाने की; कम्बखत ने ब्लाउस के बटन ही ना खोले! |
अतीत के पन्नों में झाँका तो ये लगा; आज मेरा स्वार्थ मेरे संस्कारों से भी बड़ा हो गया; बचपन में जिन्हें मैडम जी कह कर पैर छूता था आज फिर से उन्हें देखा तो लौड़ा खड़ा हो गया। |
कल चोदे सो आज चोद, आज चोदे सो अब; बीबी तो चुदती रहेगी, पड़ोसन चोदेगा कब ! |
न देख ऐसे आसमान को इतनी हसरत से, मेरे प्यारे दोस्त; किसी परिन्दे ने मुँह पर हग दिया तो सारी हसरतों की "माँ चुद" जायेगी! |