कास्ट: लिडियन नदस्वरम, यश राणे, सचिन चौधरी, तमन्ना दीपक, आयशा वंधारा
निर्देशक: सौम्य शिवहरे
रेटिंग: ***
प्लेटफार्म: ज़ी5
फिल्म 'अटकन चटकन' की कहानी एक बच्चे ( गुड्डू ) के इर्द गिर्द घूमती नज़र आती है। गुड्डू को संगीत का शौक है परन्तु वह एक गरीब परिवार से है, उसका बाप शराबी है और माँ है नही, मगर एक छोटी बहन है। गरीबी के चलते उसको चाय की दुकान पर काम करना पड़ता है, परन्तु संगीत उसकी रग-रग में हैं| फिल्म की शुरुआत गुड्डू के इतिहास से नहीं की गई मगर धीरे-धीरे आपको गुड्डू का इतिहास भी समझ आ जाएगा |
गुड्डू रोज़ाना गाँव से शहर की और चाय की दुकान पर काम करने के लिए आता है। उसी जगह एक बड़ा स्कूल भी है जहां संगीत सीखना उसका सपना है। गुड्डू बाद में कबाड़ी की दुकान पर भी काम करने लगता है और वहां पर आए बर्तनों व् डब्बों इत्यादि से संगीत बनाता है| कुछ समय बाद चोरी के आरोप में वहां से भी उसका काम छूट जाता है। इसके बाद गुड्डू के कुछ दोस्त बनते हैं जो सड़क पर ही डब्बे इत्यादि से म्यूज़िक बजा कर पैसा कमाना शुरू कर देते हैं।
एक दिन गुड्डू के ड्रीम स्कूल में एक म्यूज़िकल कम्पटीशन का आयोजन किया जाता है और स्स्चूल के प्रिंसिपल रोड पर गुड्डू और उसके दोस्तों के बैंड के संगीत को सुनते हैं | उनसे प्र्बहावित हो कर वे बच्चों को अपने स्कूल की और से प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका देते हैं जिसके बाद क्या होता है वो है कहानी अटकन चटकन की |
फिल्म में एक्टिंग की बात की जाए तो सभी ने अपना किरदार बखूबी निभाया है और खास कर गुड्डू का किरदार निभा रहे लिडियन नादस्वरम का अभिनय वाक़ई लाजवाब रहा है। बाकी बच्चों ने भी अपना किरदार ज़बरदस्त निभाया है।
सौम्य शिवहरे का निर्देशन प्रशंसनीय है और फिल्म की लय व रफ़्तार भी बढ़िया है | कहानी प्रेडिक्टेबल है लेकिन इसका मतलब ये नहीं फिल्म मनोरंजक नहीं क्यूंकि क्यूंकि पटकता मज़बूत है जो की एक गरीब बच्चे के संगीत सीखने की ललक को बखूबी प्रदर्शित करती है | हालांकि कुछ बातें अजीब हैं जैसे की जिस तरह से गुड्डू संगीत के लिए पागल है वो तो समझ आता है मगर बिना किसी शिक्षण के जिस प्रकार गुड्डू के म्यूज़िक स्किल को उभरते हुए दिखाया गया है वो पचाना मुश्किल लगता है | इन सबके अलावा भी फिल्म में बहुत कुछ है जो कहानी को और किरदारों को असलियत से कुछ दूर धकेल देता है |
बंदिश बैंडिट्स के बाद रिलीज़ हुई अटकन चटकन दूसरी म्यूज़िकल फिल्म है मगर ए आर रहमान के संगीत के बाद भी इस फिल्म का मुकाबला बंदिश बैंडिट्स से नहीं है | फिल्म में सोनू निगम, अमिताभ बच्चन और हरी हरण जैसी महान हस्तियों ने अपनी आवाजें दी हैं और संगीत का कहानी के साथ चलना फिल्म के मज़बूत पॉइंट्स में से एक है |
कुल मिलाकर अटकन-चटकन के डायलॉग और गुड्डू का किरदार आपको काफी पसंद आएगा | ज़ी5 की ये फिल्म बच्चों व् संगीत के लिए उनके जूनून और किस तरह वे इस जूनून के लिए वे अपने रास्ते में आने वाली हर मुसीबत से भिड़ जाते हैं इसकी कहानी है जो आपको दिल छू लेगी अगर आपको भी संगीत से प्यार है|