हिंदी सिनेमा के पितामाह दादा साहब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 में हुआ था| एक बार वह दोस्त के कहने पर गिरगांव (बंबई) अमेरिका इंडिया थियेटर में प्रदर्शित अंग्रेजी फिल्म 'अमेजिंग एनिमल' देखने चले गए थे| पर्दे पर वह इंसान को चलते-फिरते देखकर दंग गए थे, इसके बाद फिल्म बनाने के जुनून में वह लंदन पहुंच गए| जब वह बंबई वापिस आए तो उन्होंने 1 अप्रैल 1912 को 'फाल्के फिल्म्स' नाम से प्रोडक्शन कंपनी का कार्य शुरू कर दिया|
धीरे-धीरे दादा साहब ने फिल्म बनाने के लिए कलाकारों की चयन प्रक्रिया शुरू की और अंत में उन्होंने थियेटर से कुछ कलाकारों को चुन लिया| इसके कलाकार पांडुरंग गढाधर सने, गजानन वासुदेव और दतात्रेय दामोदर दबके थे, दादा को राजा हरिश्चंद्र के किरदार के लिए दबके का अभिनय बेहद आकर्षक लगा|
इसके बाद 3 मई 1913 को गिरगांव के पास बॉम्बे कॉर्ननेशन थियेटर में फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' रिलीज़ हुई| इस पहली भारतीय फिल्म को देखने के लिए थियेटर के बाहर हजारों की संख्या में भीड़ इक्कठा थी, इसको देखकर दादा साहब ख़ुशी से फुले नही समा रहे थे|