पाकिस्तानी अखबार 'द नेशन' के मुताबिक, प्रधानमंत्री की मंजूरी सूचना मंत्रालय को भेजी गई। जिसे वहां से पाकिस्तान राष्ट्रीय कला परिषद के महानिदेशक को अग्रसारित किया गया है ताकि आदेश को अमल में लाया जा सके।
प्रधानमंत्री आवास के विश्वस्त सूत्रों ने बताया है कि खबर पख्तूनख्वा के मुख्य सचिव ने संघीय सरकार को एक संक्षिप्त संदेश भेजकर दिलीप कुमार के घर को अधिगृहीत करने के लिए कदम उठाने और उसे राष्ट्रीय विरासत घोषित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा है कि इस परियोजना से भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच संबंध सुधारने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने संदेश को मंजूर करते हुए उसे सूचना मंत्रालय को गुरुवार को भेज दिया और वहां से उसे शुक्रवार को अग्रसारित कर दिया गया। दिलीप कुमार का घर अधिगृहीत करने के बाद सरकार उसे संग्रहालय में तब्दील कर देगी। सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को यथाशीघ्र काम पूरा करने का आदेश दिया है।
सरकार की योजना घर को संग्रहालय में बदलने के बाद दिलीप कुमार और उनके परिवार के लोगों को आमंत्रित करने की है। दिलीप कुमार का बचपन का नाम यूसुफ खान है। उनके पिता लाला गुलाम सरवर 1930 में पेशावर से मुंबई रहने चले आए थे।
दिलीप कुमार (91) छह दशकों तक सिनेमा में सक्रिय रहे और इस दौरान उन्होंने कई फिल्मों में अपने अभिनय कौशल का प्रदर्शन किया। उनकी सर्वाधिक चर्चित रही फिल्मों में 'ज्वार भाटा', 'मेला', 'नया दौर', 'तराना', 'देवदास', 'गंगा जमुना', 'लीडर', 'मुगल-ए-आजम', 'शक्ति', 'कर्मा' और 'सौदागर' आदि शामिल हैं। उनकी आखिरी फिल्म 'किला' 1998 में रिलीज हुई थी।