बच्चों के लिए उपयुक्त विषय वस्तु उपलब्ध नहीं होने के कारण बच्चे वह देखते हैं, जिससे उनका कोई मतलब नहीं है। आमिर ने कहा यदि आप बच्चों के लिए विषय वस्तु पर ध्यान दें, तो यह लगभग नगण्य है और मुझे लगता है यह बहुत भयावह स्थिति है। लगभग 80 फीसदी बच्चे वास्तव में वह विषय वस्तु नहीं देखते, जो खासतौर से उनके लिए बनाई गई है। वे वह देखते हैं, जो उनके माता-पिता देख रहे हैं।
उन्होंने कहा उद्योग में हमारे सामने बहुत से अवसर हैं। हम भारत का सामाजिक तानाबाना बुन सकते हैं।हम हमारी कहानियों और किरदारों में बच्चों के लिए बेहतर चुनाव करके राष्ट्र के निर्माण में गतिशील तरीके से योगदान कर सकते हैं।