लंड पे ऐतबार किसको है;
मिल जाए चोदने को तो इंकार किसको है;
कुछ मुश्किलें हैं चूत पाने में दोस्त;
वरना मुट्ठ मारने से प्यार किसको है!
धोती ने कहा पज़ामे से;
हम दोनों बने हैं धागे से;
फर्क तो सिर्फ इतना है कि;
मैं खुलता हूँ पीछे से और;
तुम खुलते हो आगे से।
ब्रा खोलो तो शकालका बूम बूम;
पैंटी खोलो तो खुलजा सिम सिम;
अंदर डालो तो क्या मस्ती क्या धूम धूम;
बाहर निकालो तो ठंडा-ठंडा झिम झिम!
जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा;
गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा;
मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब;
तुम्हारी फट जाएगी पर यह शेर समझ नहीं आएगा!
जैसे फूली हुई रोटी कच्ची नहीं होती;
वैसे ही ब्रा पहनी हुई लड़की कभी बच्ची नहीं होती;
और
जैसे मगर मच्छ के आंसू कभी सच्चे नहीं होते;
वैसे मुंह में लंड देने से बच्चे नहीं होते!
देख तेरे लंड की हालत क्या हो गई है इंसान;
उसमें बची नहीं है अब कोई जान;
बूब्स दिखाये, चूत दिखाई और दिखाई गांड;
फिर भी उठा नहीं शैतान;
कितना लटक गया हैवान!
वो अपनी बदकिस्मती का किस्सा किस-किस को सुनाता, ग़ालिब;
गांड का ऑपरेशन था और बहनचोद डॉक्टर भी शौक़ीन निकला।
रात होगी तो कंडोम भी दुहाई देगा;
टांगो के बीच सारा जहां दिखाई देगा;
ये काम है जानी, जरा संभलकर करना;
एक कतरा भी गिरा तो 9 महीने बाद सुनाई देगा।
चली गई दिवाली, शुरू हुई ठंड;
सिकुड़ गयी गोटी, अकड़ गये लंड;
आयेगी होली, चली जायेगी ठंड;
फूल जायेगी गोटी, लटक जायेंगे लंड;
आपको शुभ ठंड, पकड़े रहो लंड।
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
वाह-वाह।
हमारी एक मुस्कुराहट पर वो हमसे सेक्स कर बैठे;
वो पैंटी पहनने ही वाली थी कि हम फिर से मुस्कुरा बैठे।