ध्यान में अचेत नहीं होते, सचेत होते हैं। पहले से अधिक सचेत।
आस्था वो पक्षी है जो सुबह अँधेरा होने पर भी उजाले को महसूस करती है।
इस संसार में जन्म, जरा और मरण के दुःख से ग्रस्त जीव को कोई सुख नहीं है। अत: मोक्ष ही एक उपादेय है।
प्रार्थना विश्वास की अभिव्यक्ति का प्राकृतिक रूप है जैसे साँस लेना जीवन का।
हम जो भी हैं वो हमारे विचारों का नतीजा है।
आस्था से पहाड़ों को भी हिलाया जा सकता है बस आपको इनको धकेलकना पड़ता है जब आप प्रार्थना कर रहे हों।
ध्यान जीवन के सभी रहस्यों की सुनहरी कुंजी है।
दूसरों के साथ धैर्य प्यार है, स्वयं के साथ धैर्य आशा है कि है, भगवान के साथ धैर्य विश्वास है।
ध्यान, अहंकार का विकास नहीं है, बल्कि यह इसका अंत है।
आस्था परमात्मा से नहीं मिलाती। आस्था परमात्मा को संभव बनाती है।