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तीर क्यों चलाती हो, जब धार है तलवार में;
चुचे क्यों दिखाती हो, जब माल है सलवार में।

यादों की गहराई में लगा हूँ मैं खोने,
अब जा रहा हूँ हिला कर मैं सोने!

ना प्यार की खुशी न ब्रेकअप का दुख;
सिंगल रहो और दबाकर मारो मुठ!

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फिर पलट रही हैं सर्दी की सुहानी शामें,
फिर उनकी याद में मुठ मारनें के ज़माने आ गये!

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जब से हुआ है तेरी चूत का दीदार,
मेरा लंड ऐसे खडा है जैसे चीन की दीवार।

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उसकी मोहब्बत पर कैसे शक करूँ यारों,
वो अपनी शादी का कार्ड देने आई थी और देके गयी!

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सर्दियों के लिए विशेष:
चूत मारने का मज़ा भी तभी आता है ग़ालिब,
जब, मौसम हो जाड़े का और भोसड़ा हो भाड़े का।

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अर्ज़ किया है:
उसने होंठों से छू कर लौड़े पे नशा कर दिया;
लंड की बात तो और थी यारो उसने तो झांटों को भी खड़ा कर दिया।

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मदहोश मत करो खुद को किसी का हुस्न देख कर;
मोहब्बत अगर चेहरे से होती तो खुद़ा 'छेद' ना बनाता!

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देखकर एड़ियाँ उस की दिल में सवाल ही सवाल है;
इसकी चूत का क्या हाल होगा, जिसकी एड़ियाँ इतनी लाल हैं!