गुरू गोबिंद गोपाल गुर पूरन नारायणहि॥
गुरदिआल समरथ गुर गुर नानक पतित उुधारणहि॥
शब्दार्थ:
गुरु ही पूर्ण है, जो सबके दिल में बस रहा है;
वो दयालु है, सर्व व्यापी है और हमारे पापों को क्षमा करने वाला है।
गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की बधाई!
जो तो प्रेम खेलन का चाव;
सिर धर तली गली मेरी आओ।
कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
सूरा सो पहचानिये जो लरे दीन के हेत;
पुर्जा पुर्जा कट मरे कबहूँ ना छाडे खेत।
संत सिपाही श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
देह शिवा वर मोहि इहै;
शुभ करमन पे कबहूँ ना टरों;
ना डरो अर सो जब जाये लरों;
निश्चय कर अपनी जीत करो।
कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
राज करेगा खालसा, आकी रहे ना कोए;
वाहेगुरू जी का खालसा वाहेगुरू जी की फ़तेह।
कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
चिड़ियों के संग बाज़ लड़ाऊँ;
तभी गोबिंद सिंह नाम कहाऊँ।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!
मन में सींचो हर-हर नाम;
अंदर कीर्तन हर गुण गाम;
ऐसी प्रीत करो मन मेरे;
आठ पहर प्रभ जानो नेरे;
कहो गुरु जी का निर्मल भाग;
हर चरणी ता का मन लाग;
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!