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बंता सोचता था की वो मर गया है, परन्तु वास्तव में वो जिन्दा था, उसका भ्रम उसके परिवार के लिए एक समस्या बन गया था, और आखिर में उन्होंने उसे एक मनोचिकित्सक को दिखाया!
मनोचिकित्सक ने कई तरह से बंता को आश्वासन दिया की वो जिन्दा है, घबराने की जरुरत नहीं है!
अंत में डॉक्टर ने एक अंतिम तरीका सोचा जिससे संता को यकीन हो जाए की वो जिन्दा है!
उसने बंता को अपनी किताबें दिखाई जिसमें लिखा था मरे हुए आदमी से खून नहीं निकलता कुछ देर उन उबाऊ किताबें पढ़ने के बाद बंता ने मान लिया कि मरे हुए आदमी से खून नहीं निकलता!
डॉक्टर ने बंता से पूछा: अब तो तुम मान गए न की मरे हुए आदमी से खून नहीं निकलता?
बंता ने कहा: हाँ में मान गया हूँ, डॉक्टर ने कहा: बहुत अच्छे!
उसने एक पिन निकाली और बंता की ऊँगली में चुभो दी ऊँगली से खून की बूंदें निकलने लगी!
तब डॉक्टर ने पूछा: अब तुम क्या कहते हो?
हे भगवान! बंता ने अपनी ऊँगली की ओर हैरानी से देखा.... मरे हुए आदमी से भी खून निकलता है!