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सेवा में,
मुख्य अध्यापक जी,
श्रीमान जी,
बात नयुं ए कि इब श्कूल मा जी नई लगता अर रात ने नींद भी ना आती। दरअसल श्कूल में छोरियों की भारी कमी हो रही है। अर मारी क्लास मा तो छोरी है ही कोइनी। बाकी क्लासां मा जो थोड़ी बहुत हैं पूरी भूंडी शक्ल की हैं। देखने ने भी जी ना करता अर नखरे मेरी ससुरियों के आसमान ते ऊँचे सै। इस्ते अलावा कोई माषटरनी भी कोई ख़ास ना सै।
कुछ नी ते चार-पांच सुथरी सुथरी काम आली ही रख लियो।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
आपका आज्ञाकारी बालक।
- पप्पू की होशियारी! टीचर: नेपोलियन की मृत्यु किस लड़ाई में हुई?
पप्पू: उसकी आखिरी लड़ाई में।
टीचर: स्वतंत्रता की... - हाज़िर जवाब पप्पू! एक बार एक अध्यापक कक्षा में बच्चों को रक्त प्रवाह (ब्लड प्रेशर) के बारे में पढ़ा रहा था।
अध्यापक: बच्चों जैसा... - कुदरत का करिश्मा कुदरत ने औरत को हसींन बनाया।
खूबसूरती दी।
चाँद सा चेहरा दिया।
हिरणी सी आँखें... - जीवन रक्षक फिजिक्स! एक लड़का एक कोचिंग सेंटर में प्री-मेडिकल-टेस्ट की तैयारी कर रहा था।
फिजिक्स उस लड़के को बिलकुल समझ में नहीं आता था और सारे लेक्चर उसके सिर के ऊपर से निकल जाते थे।
एक दिन उसने टीचर से पूछा... - ज़ुल्मी तोता! अपने हरयाणे आले तो तोते बी जुल्मी होवे सै।
दिल्ली आला आदमी अपने हरयाणे में आ रहा था एक मेले में घुमण।
उड़े उसने एक तोता पसंद आ जा से...