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हरियाणे का भी रिवाज न्यारा है।
उल्टे सीधे नाम निकालने का भी स्वाद न्यारा है;
किसी कमजोर को पहलवान कहण का,
दूसरे की गर्ल फ्रैंड को सामान कहण का स्वाद न्यारा है;
पहलवान को माडू कहण का,
और फलों में आडू कहण का।स्वाद न्यारा है;
एक अन्धे को सूरदास कहण का,
किसी लुगाई न गंडाश कहण का स्वाद न्यारा है।
चादर को दुशाला कहण का,
लंगड़े को चौटाला कहण का स्वाद न्यारा है।
सब्जी को साग कहण का,
और काले को नाग कहण का स्वाद न्यारा है।
- कंजूस का दिमाग! एक दिन एक कंजूस आदमी के घर कोई मेहमान आ गया। अब कंजूस को यह चिंता सताने लगी कि इस मेहमान की मेहमान नवाज़ी में बेकार का खर्चा हो जायेगा तो उसने अपने अंदाज़ में हालात को कुछ यूँ संभाला...
- पी रहे हैं...जी रहे हैं! एक समय की बात है, करंटपुरा नामक कस्बे में दो दोस्त रहा करते थे। पहला जबर्दस्त पियक्कड़ और दूसरा भला इंसान। दूसरा हमेशा पहले को समझाता रहता था।
कुछ समय बाद... - चौधरी की तपस्या! एक बै हरियाणा मै बारिस ना होवै थी। तो कुछ शायने माणस कठे हो कै नै एक चौधरी साहब तै नु बोले, "चौधरी साहब तपस्या कर लो, बारिस हो ज्यागी।"
चौधरी साहब नै... - कुत्तों को जलेबी! शहर में एक सेठ जी के घर पर इनकम टैक्स का छापा पड़ गया। सब कुछ देखने के बाद इनकम टैक्स अधिकारी बोला, "सेठ जी सब कुछ ठीक है लेकिन...
- ग्रुप सार! हे एडमिन!
तु व्यर्थ ही चिंता करता है
तू क्या ले कर आया था इस ग्रुप में?
तु क्या ले कर जायेगा?
तेरा क्या...