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एक दिन संसद के मध्य सत्र में एक सांसद जो अपने गुस्से और सनकीपन के लिए मशहूर था, बहुत ही गुस्से में जोर-जोर से चिल्लाने लगा, इस सदन में बैठे आधे नेता डरपोक और भ्रष्टाचारी है!
सदन में बैठे अन्य नेतागण जोर से चिल्लाने लगे या तो ये महोदय अपनी स्टेटमेंट वापिस ले या फिर इन्हें बचे हुए सत्र से बर्खास्त कर बाहर भेज दिया जाये!
थोड़ी देर के लिए सदन में बिल्कुल सन्नाटा छा गया!
फिर वह सांसद बोला ठीक है, मैं अपने शब्द वापिस लेते हुए कहता हूँ कि इस सदन में बैठे आधे नेता न तो डरपोक है और न ही भ्रष्टाचारी है!
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