अपनी पीड़ा सह लेना और दूसरे जीवों को पीड़ा न पहुंचाना, यही तपस्या का स्वरूप है| |
इन्सान का आभूषण उसकी नम्रता और उसके मीठे वचन होते हैं। और बाकी सब नाम मात्र के भूषण हैं। |
अच्छे और विनम्र शब्दों के ज्ञान होने के बावजूद भी दूसरो के साथ गलत शब्दों का इस्तेमाल करना बिल्कुल वैसे हो जाता है, जैसे पेड़ पर पके हुए फल लगे होने के बावजूद कच्चे फल खाना। |
इन्सान का आभूषण उसकी नम्रता और उसके मीठे वचन होते हैं। और बाकी सब नाम मात्र के भूषण हैं। |
बुरी आदतो वाले या बुरे व्यवहार वाले इन्सान के साथ बात करना विल्कुल वैसे है , जैसे टॉर्च की सहायता से पानी के नीचे डूबते इन्सान को तलाशना। |
कमल जिस पानी में खिला है, उस पानी की गहराई चाहे जितनी क्यों न हो , कमल हमेशा पानी के ऊपर ही रहता है ठीक उसी प्रकार से एक इन्सान कितना महान है, ये उसकी मानसिक ताकत पर निर्भर करता है| |
इन्सान का आभूषण उसकी नम्रता और उसके मीठे वचन होते हैं। और बाकी सब नाम मात्र के भूषण हैं। |
इन्सान का आभूषण उसकी नम्रता और उसके मीठे वचन होते हैं। और बाकी सब नाम मात्र के भूषण हैं। |
कमल जिस पानी में खिला है , उस पानी की गहराई चाहे जितनी क्यों न हो, कमल हमेशा पानी के ऊपर ही रहता है ठीक उसी प्रकार से एक इन्सान कितना महान है, ये उसकी मानसिक ताकत पर निर्भर करता है| |
जरुरत के समय सहायता मिल जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ और हो ही नहीं सकता| |