Shaheed Bhagat Singh Hindi Quotes

  • ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है। दूसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाज़े उठाये जाते हैं।Upload to Facebook
    ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है। दूसरो के कन्धों पर तो सिर्फ जनाज़े उठाये जाते हैं।
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है!Upload to Facebook
    राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है, मैं एक पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है!
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।Upload to Facebook
    प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं।
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है!Upload to Facebook
    मैं एक मानव हूँ और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है!
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं!Upload to Facebook
    ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कन्धों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं!
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे|Upload to Facebook
    इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे|
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने<br/>
काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है,<br/> 
जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे.
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    इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने
    काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है,
    जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे.
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है|Upload to Facebook
    आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसके आदि हो जाते हैं और बदलाव के विचार से ही कांपने लगते हैं। हमें इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की ज़रुरत है|
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था|Upload to Facebook
    ज़रूरी नहीं था की क्रांति में अभिशप्त संघर्ष शामिल हो। यह बम और पिस्तौल का पंथ नहीं था|
    ~ Shaheed Bhagat Singh
  • क्रांतिकारी सोच के 2 लक्षण होते हैं एक बेरहम निंदा और दूसरा स्वतंत्र सोच |Upload to Facebook
    क्रांतिकारी सोच के 2 लक्षण होते हैं एक बेरहम निंदा और दूसरा स्वतंत्र सोच |
    ~ Shaheed Bhagat Singh