जीवन को गाड़ी के सामने के काँच से देखें, पीछे देखने वाले शीशे में नहीं। |
शांत-चित्तता तो पारे की तरह है। आप इसे पाने की जितनी ज्यादा कोशिश करते हैं, यह उतनी ही मुश्किल से हाथ आती है। |
प्रसन्नता बाहरी परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती, यह हमारे मानसिक रवैया से संचालित होती है। |
अतीत पे धयान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो। |
बीते हुए ख़राब कल के बारे में सोच कर अपना अच्छा आज मत ख़राब करो। |
शीशा झूठ बोल सकता है। वो आपके अंदर क्या है वो नहीं दर्शाता। |
सच कहो नहीं तो तुम्हारी जगह कोई दूसरा इसे कह देगा। |
भीड़ के साथ गलत दिशा में चलने की तुलना में अकेले चलना बेहतर है। |
आप केवल उन दीवारों के अंदर ही सीमित होते हैं जो आप खुद बनाते हो। |
अपने नकारात्मक विचारों को उसी समय नष्ट करो जब वो पहली बार दिखाई देते हैं। उस समय वो सबसे कमज़ोर होते हैं। |