टीचर: "रामस्वरूप बीमार हुआ फलस्वररूप मर गया।" सब लोग इसका अंग्रेजी में अनुवाद करो। पप्पू: टीचर, अगर 'रामस्वरूप' बीमार था तो 'फलस्वरूप' क्यों मरा? टीचर: मूर्ख इसका मतलब है 'रामस्वरूप' बीमार हुआ 'परिणामस्वरुप' मर गया। पप्पू: लो अब कोई तीसरा मर गया। |
पठान और सिंधी आपस में बातें कर रहे थे। सिंधी: चल अपने बचपन की कोई बात बता? पठान: यार, बचपन में... मैं बहुत ताक़तवर था। सिंधी: अच्छा... वो कैसे? पठान: अम्मी कहती है बचपन में जब मैं रोता था तो सारा घर सिर पर उठा लेता था। |
पप्पू: पापा, यह सांता क्लॉज़ (Santa Claus) आदमी ही क्यों होता है? संता: बेटा क्योंकि कोई भी औरत एक ही ड्रैस (Dress) को हर साल नहीं पहन सकती। |
पप्पू: पापा एक बात बतानी है आपको। संता: क्या? पप्पू: मैंने फेसबुक पर लडकियों के नाम से 10 जाली आईडी बना रखी हैं। संता: तो मुझे क्यों बता रहा है नालायक? पप्पू: वो जिसे आप बार-बार फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहे हैं वो मेरी ही जाली आईडी है पापा। |
संता (पप्पू को डांटते हुए): तुम निहायत आलसी हो, कुछ करना ही नहीं चाहते। जानते हो जब मैं तुम्हारी उम्र का था तो एक स्टोर में मैंने 500 रूपये महीने की नौकरी की थी, और कुछ दिन बाद मैं उस स्टोर का मालिक बन गया था। पप्पू: आजकल यह संभव नहीं पापा, अब तो सब स्टोरों में पैसे का हिसाब - किताब रखा जाता है और आज-कल तो हर स्टोर में कैमरे भी लगे हुए हैं। |
बंता: यार संता, क्या कोई औरत किसी आदमी को लखपति बना सकती है? संता: बिल्कुल बना सकती है, बस शर्त यह है कि आदमी पहले करोड़पति होना चाहिए। |
पप्पू: कल मैंने एक शेर के मुँह पर घूंसा मारा, चीते की पूंछ खींच दी और हाथी को उठा कर नीचे फ़ेंक दिया। बंटी: फिर क्या हुआ? पप्पू: कुछ नहीं बस फिर खिलौने वाले ने मुझे दुकान से बाहर निकाल दिया। |
सिंधी(पठान से): यार तुम्हारा जन्मदिन कब आता है? पठान: नहीं यार, मेरा जन्मदिन नहीं आता। सिंधी: ऐसा कैसे हो सकता है? जन्मदिन तो सबका आता है। पठान: वो मैं रात को पैदा हुआ था, इसलिए मेरा जन्म दिन नहीं आता। |
पप्पू स्कूल ख़त्म होने के बाद बाहर निकला तो... भिखारी (पप्पू से): एक रुपए का सवाल है बेटा। पप्पू: वो पीछे गणित के मास्टर साहब आ रहे हैं। उन्हीं से पूछ लो। |
पप्पू: पापा, ये गाड़ियों पर "ADVOCATE" क्यों लिखा होता है? संता: बेटा इसका मतलब होता है कि गाडी मालिक के पास या तो लाइसेंस नहीं है या तो आर सी, और पुलिस वाले दूर से ही समझ जाते हैं कि यह 100/- रुपये भी नहीं देने वाला, बस दिमाग खायेगा। |