बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। |
नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के शोभा बढती है। |
नम्रता के संसर्ग से ऐश्वर्य के शोभा बढती है। |
जिनका चित्त विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में भी अस्थिर नहीं होता वे ही सच्चे धीर पुरुष होते हैं। |
सब प्राचीन अच्छा और सब नया बुरा नहीं होता। बुद्धिमान पुरुष स्वयं परीक्षा द्वारा गुण-दोषों का विवेचन करते हैं। |
दान-पुण्य केवल परलोक में सुख देता है पर योग्य संतान सेवा द्वारा इहलोक और तर्पण द्वारा परलोक दोनों में सुख देती है। |
अवगुण नाव की पेंदी के छेद के समान है, जो चाहे छोटा हो या बड़ा, एक दिन उसे डुबो देगा। |
बुराई नौका में छिद्र के समान है। वह छोटी हो या बड़ी, एक दिन नौका को डूबो देती है। |