ज्ञान वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। |
ऐसे देश को छोड़ देना चाहिए जहाँ धन तो है लेकिन सम्मान नहीं! |
सत्य उसी वाणी को सम्भालता है जो वाणी सत्य को सम्भालती है| |
नम्रता की ऊंचाई को नापा नहीं जा सकता | |
जब तक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती तब तक लाभ दिखाई नहीं देता। लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनायी जाती है। |
स्वतंत्र वही होता है, जो अपना काम स्वयं कर लेता है। |
ज्ञानी वह है, जो वर्तमान को ठीक प्रकार समझे और परिस्थिति के अनुसार आचरण करे। |
जब तक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती तब तक लाभ दिखाई नहीं देता। लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है। |
जबतक कष्ट सहने की तैयारी नहीं होती तब तक लाभ दिखाई नहीं देता। लाभ की इमारत कष्ट की धूप में ही बनती है। |
पत्थर भले ही आखिरी चोट से टूटता है परन्तु पहली चोट भी व्यर्थ नहीं जाती। |