पड़ोस वाली चाची 9 दिन व्रत रखकर माता को बुला रहीं थी! 12वें दिन पोती हो गई! तब से मुँह फुलाये बैठी हैं! |
तू तो समझदार है , तू क्यों उसके मुंह लग रहा है... . . . . . . . . ये वो रामबाण वाक्य है जो लड़ाई को शांत करने के लिए बोला जाता है! |
घर ने किचन सेट, डिनर सेट, सोफा सेट, सोने-चाँदी के सेट, सब कुछ अच्छी तरह सेट हो, पर घरवाले अपसेट हों तो सब व्यर्थ है! |
सिर्फ इतना ही फर्क पड़ा है चेहरे की हँसी पर, पहले आती थी अब लाते हैं! |
सेल्फ़ी निकालना तो सेकंड्स का काम है! वक़्त तो "इमेज़" बनाने में लगता है! |
हम जब छोटे थे तो मम्मी पापा टीवी देखने नही देते थे... . . . . जब बड़े हुए तो हमें बच्चे टीवी देखने नही देते! करें तो करें क्या? |
कड़वा है मगर सच है! मोबाइल के कारण बच्चे माता-पिता के कवरेज एरिया से बाहर होते जा रहे हैं! |
थोड़ा बहुत शतरंज का आना भी ज़रूरी है साहब, कई बार सामने वाला मोहरे चल रहा होता है और हम रिश्ते निभाते रह जाते हैं! |
जब से सभी के अलग अलग मकान हो गए, पूरा बचपन साथ बिताने वाले भाई भी आज एक दूसरे के मेहमान हो गए! |
गुरूर किस बात का है साहब, आज मिट्टी के ऊपर कल मिट्टी के नीचे होंगे! |