धूप देख मैं आ जाऊं; छाँव देख शरमा जाऊं; जब हवा करे मुझे स्पर्श; मैं उसमे समा जाऊं; बताओ क्या? |
एक फूल है काले रंग का, सिर पे हमेशा सुहाए; तेज़ धूप में खिल-खिल जाता, पर छाया में मुरझाये। |
सफेद मुर्गी ,हरी पूंछ; तुझे न आए,तो काले से पूछ। बताओ? |
परिवार हरा हम भी हरे; एक थैली में तीन - चार भरे। बताओ क्या? |
काली-काली एक चुनरिया, जगमग-जगमग मोती; आ सजती धरती के ऊपर, जब सारी दुनिया सोती। बताओ क्या? |
सुबह आता शाम को जाता, दिनभर अपनी चमक बरसाता; समस्त सृष्टि को देता वैभव,इसके बिना नहीं जीवन संभव। बताओ क्या? |
कभी बड़ा हो कभी हो छोटा; माह में एक दिन मारे गोता। बताओ क्या? |
तीन अक्षर का मेरा नाम ,मेरी है सीमा अपार; मुझपे चलते वाहन अनेक ,जल का हूँ मैं भंडार। बताओ क्या? |
जब ये जलते हैं, तो रोते हैं; सब इन्हें जलाकर खुश होते हैं। |
चार टांग की हूँ एक नारी ,छलनी सम मेरे छेद; पीड़ित को आराम मैं देती ,बतलाओ भैया यह भेद? |