अन्य Hindi SMS

  • वक़्त का तकाज़ा हर फ़र्ज़ को मज़बूर करता है<br/>
वरना कौन पिता अपनी चाँद सी बेटी को अपने से दूर करता है।Upload to Facebook
    वक़्त का तकाज़ा हर फ़र्ज़ को मज़बूर करता है
    वरना कौन पिता अपनी चाँद सी बेटी को अपने से दूर करता है।
  • गुज़र जायेगा यह दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख;<br/>
जब तेज़ी ही नहीं ठहरी तो मंदी की क्या औकात है।Upload to Facebook
    गुज़र जायेगा यह दौर भी ज़रा इत्मीनान तो रख;
    जब तेज़ी ही नहीं ठहरी तो मंदी की क्या औकात है।
  • मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है?<br/>
बोला - भाई लहू का दौर है शराब कौन पीता है?Upload to Facebook
    मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है?
    बोला - भाई लहू का दौर है शराब कौन पीता है?
  • जिस सिकंदर ने पूरे विश्व को लूटा,<br/>
उसी का देश आज दिवालिया हो गया।<br/>
समय बहुत बलवान है।Upload to Facebook
    जिस सिकंदर ने पूरे विश्व को लूटा,
    उसी का देश आज दिवालिया हो गया।
    समय बहुत बलवान है।
  • दीघार्यु के लिए:<br/>

खुराक आधी करें<br/>
पानी दोगुना करें<br/>
व्यायाम तिगुना करें<br/>
और हँसना चौगुना करें।Upload to Facebook
    दीघार्यु के लिए:
    खुराक आधी करें
    पानी दोगुना करें
    व्यायाम तिगुना करें
    और हँसना चौगुना करें।
  • माँ ने रख दी आखिरी रोटी भी मेरी थाली में;<br/>
मै पागल फिर भी खुदा की तलाश करता हूँ।Upload to Facebook
    माँ ने रख दी आखिरी रोटी भी मेरी थाली में;
    मै पागल फिर भी खुदा की तलाश करता हूँ।
  • ज़िन्दगी ने मेरे मर्ज़ का एक बढ़िया इलाज़ बताया,<br/>
वक़्त को दवा कहा और ख्वाहिशों से परहेज़ बताया।Upload to Facebook
    ज़िन्दगी ने मेरे मर्ज़ का एक बढ़िया इलाज़ बताया,
    वक़्त को दवा कहा और ख्वाहिशों से परहेज़ बताया।
  • एक झूठ जो हर आदमी बोलता है:<br/>
`बात पैसे की नहीं है यार`!Upload to Facebook
    एक झूठ जो हर आदमी बोलता है:
    "बात पैसे की नहीं है यार"!
  • स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ;<br/>
ये ज़िन्दगी का सबक मुझे बड़ा मुश्किल लगता है।Upload to Facebook
    स्कूल का वो बस्ता मुझे फिर से थमा दे माँ;
    ये ज़िन्दगी का सबक मुझे बड़ा मुश्किल लगता है।
  • लौट आता हूँ वापस घर की तरफ हर रोज़ थका-हारा;<br/>
आज तक समझ नहीं आया कि जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।Upload to Facebook
    लौट आता हूँ वापस घर की तरफ हर रोज़ थका-हारा;
    आज तक समझ नहीं आया कि जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
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