वो खुद ही तय करते है मंज़िल आसमानों की; परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की; रखते हैं जो हौंसला आसमान छूने का; उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की। |
संघर्ष में आदमी अकेला होता है; सफलता में दुनिया उसके साथ होती है; जब-जब जग उस पर हँसा है; तब-तब उसी ने इतिहास रचा है। |
ऐ आसमान बता दे अपनी हदें; मैं उनके पर जाना चाहता हूँ; फांसले हों चाहे कितने भी बड़े; हौंसलों से मैं उन्हें अपने मिटाना चाहता हूँ। |
वक़्त से लड़कर जो नसीब बदल दे; इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे; कल होगा क्या, कभी ना यह सोचो; क्या पता कल खुद वक़्त अपनी तस्वीर बदल दे। |
जीत की चाहत का जुनून चाहिए; उबाल हो जिसमे ऐसा खून चाहिए; आ जायेगा यह आसमान भी जमीन पर; बस इरादों में जीत की गूँज चाहिए। |
जो सफर की शुरुआत करते हैं; वो ही मंज़िल को पार करते हैं; एक बार चलने का हौंसला रखो; मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं। |
ज़िंदगी की हर उड़ान बाकी है; हर मोड़ पर एक इम्तिहान बाकी है; अभी तो तय किया है आधा सफर ज़िंदगी का; बढ़ते ही रहना है हौंसले से मंज़िल की तरफ; क्योंकि अभी तो मंज़िलों से आगे निकल जाना बाकी है। |
मंज़िल मिल ही जाएगी एक दिन भटकते भटकते ही सही; गुमराह तो वो हैं जो डर के घर से निकलते ही नहीं; खुशियां मिल जायेंगी एक दिन रोते रोते ही सही; कमज़ोर दिल तो वो हैं जो हँसने की कभी सोचते ही नहीं। |
कोई साथ दे ना दे, चलना तू सीख ले; हर आग से हो जा वाकिफ जलना तू सीख ले; कोई रोक नहीं पायेगा बढ़ने से तुझे मंज़िल की तरफ; हर मुश्किल का सामना करना तू बस सीख ले। |
पहाड़ चढ़ने का एक असूल है, झुक कर चढ़ो, ज़िंदगी भी बस इतना ही मांगती है, अगर झुक कर चलोगे तो ऊंचाई तक पहुँच जाओगे। |