मनुष्य का मूल्यांकन इस आधार पर किया जाना चाहिए कि उसने कितने दोस्त या दुश्मन बनाए हैं। |
लोकतंत्र का मूल उदारता में है। |
कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती यदि वह अपने को अन्य से पृथक रखने का प्रयास करे। |
देश कभी चोर उचक्कों की करतूतों से बरबाद नहीं होता बल्कि शरीफ़ लोगों की कायरता और निकम्मेपन से होता है। |
अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के ही समान है। |
अन्य लोगों के अंतिम संस्कार में अवश्य शरीक हों, अन्यथा लोग आपके में शरीक नहीं होंगे। |
किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है। |
यदि हमारे मन में शांति नहीं है तो इसकी वजह है कि हम यह भूल चुके हैं कि हम एक दूसरे के हैं। |
आज वैश्विक निर्भरता का अर्थ यह है कि विकासशील देशों में आई आर्थिक आपदाएं विकसित देशों में संकट ला सकती है। |
समाज की सेवा करने का अवसर हमें अपना ऋण चुकाने का मौका देता है। |