जीवन का वास्तविक सुख, दुसरो को सुख देने में है, उनका सुख लूटने में नहीं। |
अपने कार्य में कुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। |
क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज्यादा दुखाता है। |
मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है! |
मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है| |
चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुँचा सकता जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएँ। |
क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है। |
जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है। |
निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है। |
युवावस्था आवेशमय होती है, वह क्रोध से आग हो जाती है तो करुणा से पानी भी। |