जीवन का वास्तविक सुख, दुसरो को सुख देने में है, उनका सुख लूटने में नहीं। |
अपने कार्य में कुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है। |
क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात कहने के बजाय दूसरों के ह्रदय को ज्यादा दुखाता है। |
मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है! |
मन एक भीरु शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है| |
क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है। |
जिस प्रकार नेत्रहीन के लिए दर्पण बेकार है उसी प्रकार बुद्धिहीन के लिए विद्या बेकार है। |
निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है। |
धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें तो यह कोई महंगा सौदा नहीं। |
आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है। |