संता रात को शराब में टुन्न होकर घर पहुंचा। जीतो: पीके आया है? संता: नहीं अभी तो सिर्फ पोस्टर आया है फिल्म दिसंबर में आएगी। |
जीतो (पप्पू से): जा बेटा, अपना कमरा साफ़ कर ले। पप्पू: आप भी चलो मेरे साथ। जीतो: क्यों मैं क्यों चलूँ? पप्पू: आपको पता नहीं "स्वच्छ भारत अभियान" चल रहा है, आप मेरी फोटो खींचना और मैं सफाई करूँगा। जैसा आज-कल सभी नेता कर रहे हैं। |
संता (डॉक्टर से): डॉक्टर साहब, मैं अपनी बीवी की यादाश्त से बहुत परेशान हूँ। इसका कोई इलाज़ कीजिये। डॉक्टर: क्या हुआ, क्या वो बातें भूल जाती हैं? संता: नहीं डॉक्टर साहब, यही तो मुसीबत है कि वो कुछ भूलती ही नहीं है। |
सिंधी(पठान से): और बताओ तुम्हारा भाई आज-कल क्या कर रहा है? पठान: बस एक दुकान खोली थी, पर अब तो जेल में है। सिंधी: जेल में, वो क्यों? पठान: वो दुकान हथौड़े से खोली थी न। |
टीचर: ऐसी कौन सी चीज़ है जिसे हम ना देख सकते हैं, ना महसूस कर सकते हैं फिर भी उसके बिना रह नहीं सकते? बंटी: हवा। टीचर: बहुत अच्छे। पप्पू: नहीं टीचर इसके अलावा भी कुछ है। टीचर: अच्छा तो तुम ही बता दो वो क्या है? पप्पू: वाई फाई (WiFi) टीचर |
जीतो: जी आज मैने बड़ी मेहनत से सोहन हलवा बनाया था। संता: वो तो मुझे पता चल ही गया था। जीतो: अच्छा वो कैसे? संता: क्योकि मैंने भी बडी मेहनत से खाया है। |
पठान डॉक्टर के पास गया और बोला, "डॉक्टर साहब मुझे लगता है मुझे जूतों से एलर्जी है।" डॉक्टर: क्यों, ऐसा क्यों लगता है तुम्हें? पठान: क्योंकि डॉक्टर साहब जब भी मैं जूते पहने सुबह उठता हूँ तो मेरा सिर बहुत दर्द करता है। |
बंटी: यार अपने आप पर सब से ज्यादा गर्व कब महसूस होता है? पप्पू: जब एग्जाम में कुछ नहीं आता और पीछे से टीचर आकर बोलती है, "कॉपी छुपा लो, पीछे वाला देख रहा है।" कसम से गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। |
जीतो: डार्लिंग 'Halloween' पे कैसा मेक-अप करूँ, जो सब मुझसे डरें? संता: मेरे हिसाब से अगर तुम बिना मेक-अप के रहोगी तो लोग ज्यादा डरेंगे। |
सिंधी (पठान से): यार रेडियो और अखबार में क्या फर्क है? पठान (बहुत सोचने के बाद): फर्क कुछ ज्यादा नहीं है, मिलती तो दोनों से खबरें ही हैं पर अख़बार रेडियो से ज्यादा फायदेमंद है। सिंधी: वो कैसे? पठान: यार अब रेडियो में तुम रोटियां तो नहीं लपेट सकते न। |