खुद को बिखरने मत देना कभी किसी हाल में, लोग गिरे हुए मकान की ईंटें तक ले जाते हैं! |
कल का दिन किसने देखा है, आज का दिन भी खोये क्यों; जिन घड़ियों में हँस सकते हैं, उन घड़ियों में फिर रोये क्यों! |
मंदिरों में जिन मूर्तियों का तुम ध्यान करते हो उन्हें तुमने ही बनाया है! पर उसका ध्यान कब करोगे, जिसने तुम्हें बनाया है! |
क्या आपके साथ भी ऐसा होता है कि... जिनके साथ फीलिंग मैच होती है उनके साथ उम्र मैच नहीं होती! |
जहाँ रखा था सूखने को तुमने दुपट्टा अपना, वो नीम की डाली आज चॉकलेट जैसी मीठी हो गयी। इतना ठीक रहेगा या और लंबी फेंकें। |
एक आदमी गरीबी के कारण भूख से चक्कर खा के गिर गया तो आस पास के लोग उसको उठा के एक देसी वैध के पास ले गए! वैध उसकी नब्ज देख के बोला, "भाई इलाज़ तो इसके घर पर ही है!" आदमी: वैध जी वो कैसे? वैध: तू ऐसे कर 100 ग्राम इलाइची, 100 ग्राम काजू, 100 ग्राम बादाम, 100 ग्राम किशमिश, 100 ग्राम पिस्ता लेकर सारे पीस कर, एक लीटर गर्म दूध में उबाल कर अर उकडू बैठ के फूंक मार मार के पी लेना! ठीक हो जाओगे! आदमी मायूसी से बोला, "जी इनमें से तो मेरे पास बस दो ही चीज़ हैं!" वैध: कौन सी? आदमी: जी उकडू और फूंक! |
हर किसी को सफाई देने से बचें! खुद में और झाड़ू में फर्क रखना सीखिए! |
लक्ष्मी की चोरी हो सकती है लेकिन ज्ञान की नहीं! इसलिए अपने बच्चों को धनवान नहीं शिक्षित बनायें! |
नाम में कुछ नहीं रखा जनाब; जिसमें एक भी रोटी नहीं होती, लोग उसे भी डबल रोटी कहते हैं! |
कमाई की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती है! अनुभव, रिश्ते, मान सम्मान और अच्छे मित्र सभी कमाई के रूप है! सुप्रभात! |