रात ढली, चाँद थका, समय ने ली अँगड़ाई है; प्रकृति के हर कण में जीवन भरने, अब स्वर्णिम किरणे आई हैं। सुप्रभात! |
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात आखिरी होगी; ना ज़ाने कौन सी रात आखिरी होगी; मिलते, जुलते, बातें करते रहो एक दूसरे से; ना जाने कौन सी मुलाक़ात आखिरी होगी। शुभ रात्रि! |
क्या बतायें कि क्या होता है आपके आने से; बहार भी आ जाती है आपके आने से; फूल भी खिल जाते हैं आपकी आहट से; हर सुबह होती है आपके ही मुस्कुराने से। सुप्रभात! |
सपनो की दुनिया में हम खोते चले गए; होश में थे मगर मदहोश होते चले गए; जाने क्या बात थी उनकी आवाज़ में; न चाहते हुए भी उनके होते चले गए। शुभ रात्रि! |
एक नयी सी सुबह चुरा के लाये हैं; दिल में एक नया एहसास भरने आये हैं; नींद की ख़ामोशी में जो लिपटे हुए हैं; उन्हें प्यार से जगाने आये हैं। सुप्रभात! |
जीवन के हर मोड़ पर खुशियों को आने दो; जुबां पर हर वक्त मिठास को रहने दो; ना रहो उदास और ना किसी को रहनो दो। शुभ रात्रि! |
ख़्वाबों की दुनिया से अब लौट आओ; हो गयी है सुबह अब जाग भी जाओ; चाँद-तारों को अब कह दो अलविदा; और प्यारी सी सुबह को करो सजदा। सुप्रभात! |
जो ख़ुशी करीब हो वो सदा तुम्हें नसीब हो; ज़िंदगी का हर लम्हा सदा तेरे लिए हसीन हो; जो तुझ को पसंद हो तुम्हारे दिल की उमंग हो; चाहे जिस हमसफ़र को तेरी ज़िंदगी वो सदा तेरे संग हो। शुभ रात्रि! |
आप का हर लम्हा गुलाब हो जाये; आप का हर पल शादाब हो जाये; जिन पर बरसती हैं खुदा की रहमतें; आप का भी नाम उन में शुमार हो जाये। सुप्रभात! |
फूल खिलते रहे ज़िंदगी की राह में; हँसी चमकती रहे आपकी निगाह में; कदम-कदम पे मिले ख़ुशी की बहार आपको; यही दिल देता है दुआ बार-बार आपको। शुभ रात्रि! |