खिलखिलाती सुबह, ताज़गी से भरा सवेरा है; फूलों और बहारों ने आपके लिए रंग बिखेरा है; सुबह कह रही है जाग जाओ; आपकी मुस्कराहट के बिना सब अधूरा है। सुप्रभात! |
ज़िंदगी में कामयाबी की मंज़िल के लिए ख़्वाब ज़रूरी है; और ख़्वाब देखने के लिए नींद; तो अपनी मंज़िल की पहली सीढ़ी चढ़ो; और सो जाओ! शुभरात्रि! |
बहारों का समय होता है आपके आने से; फूल खिलते हैं आपकी आहट से; ज्यादा मत सोईए जनाब; क्योंकि हर सुबह होती है आपके मुस्कुराने से। सुप्रभात! |
यह कोई सोने का वक़्त है? जब देखो सोते रहते हो? क्या सारी ज़िंदगी सो-सो के बितानी है? और हां जाग जाओ तो शोर मत करना, हम सो रहे हैं! शुभरात्रि! |
सूरज तुम उनको मेरा पैगाम देना; ख़ुशी का दिन और हँसी की शाम देना; जब वो देखे तुझे बाहर आ कर; तो उनको मेरा सलाम देना! सुप्रभात! |
नींद तो आने को थी; पर दिल पिछले क़िस्से ले बैठा; वही तन्हाई वही आवारगी; वही उसकी यादें और वही सुबह। शुभरात्रि! |
फूलों की वादियों में हो बसेरा आपका; सितारों के आँगन में हो सवेरा आपका; दुआ है एक दोस्त की दोस्त के लिए; हमसे भी खूबसूरत हो नसीब आपका। सुप्रभात! |
खूबसूरत आँखें तेरी; रात को जागना छोड़ दे; खुद बा खुद नींद आ जायेगी; तुम मुझे सोचना छोड़ दे। शुभरात्रि! |
प्यारी सी मीठी सी निंदिया के बाद; रात के कुछ सपनों के बाद; सुबह की कुछ उम्मीदों के साथ; आपको प्यार भरी सुप्रभात! सुप्रभात! |
लफ़्ज़ों की तरह दिल की किताबों में मिलेंगे; या बनकर महक गुलाबों में मिलेंगे; मिलने के लिए ए दोस्त ठीक से सोना; आज रात हम आप को ख़्वाबों में मिलेंगे। |