फूलों ने अमृत का जाम भेजा है; सूरज ने गगन से सलाम भेजा है; मुबारक हो आपको नयी सुबह; तहे-दिल से हमने यह पैगाम भेजा है। |
पिता जिसका था हिन्द की चादर; आप बना वो रक्षक निमानों का; खिड़े माथे जिसने सरबंस वार दिया; वो है गुरु बलिदानियों का; जिसका जीवन था देश और कौम के नाम; यह है साका उसकी कुर्बानियों का। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं! |
पलकों पर दस्तक देने कोई ख़्वाब आने वाला है; ख़बर मिली है कि वो ख़्वाब सच होने वाला है; हमने कहा उसकी पलकों पर जा; जो प्यारा सा दोस्त सोने वाला है। शुभरात्रि! |
मौसम की बहार अच्छी हो; फूलों की कलियां कच्ची हो; हमारी यह दोस्ती सच्ची हो; बस एक ही दुआ है मेरे दोस्त की हर सुबह अच्छी हो। सुप्रभात! |
आकाश के तारों में खोया है जहां सारा; लगता है प्यारा एक-एक तारा; उन तारों में सबसे प्यारा है एक सितारा; जो इस वक़्त पढ़ रहा है संदेश हमारा। शुभरात्रि! |
सुबह का मौसम जैसे जन्नत का एहसास; आँखों में नींद और चाय की तलाश; जागने की मज़बूरी थोड़ा और सोने की आस; पर आपका दिन शुभ हो हमारी सुप्रभात के साथ। सुप्रभात! |
रात काफी हो चुकी है; अब चिराग़ बुझा दीजिए; एक हसीं ख़्वाब राह देख रहा है आपका; बस पलकों के पर्दे गिरा दीजिए। शुभरात्रि! |
रात ने चादर समेट ली है; सूरज ने किरने बिखेर दी हैं; चलो उठो और धन्यवाद करो अपने भगवान का; जिसने हमें यह प्यारी सी सुबह दी है। सुप्रभात! |
चाँद को बिठा के पहरे पे; तारों को दिया निगरानी का काम; एक रात सुहानी आपके लिए; एक मीठा सा सपना आपकी आँखों के नाम। शुभरात्रि! |
सुबह के फ़ूल खिल गए; पंछी अपने सफ़र पे उड़ गए; सूरज आते ही तारे छुप गए; क्या आप भी मीठी नींद से उठ गए। सुप्रभात! |