ऐसा लगता है कुछ जा रहा है; कोई मीठे सपनों में खोने जा रहा है; धीमी कर दे अपनी रौशनी ऐ चाँद; मेरा दोस्त अब सोने जा रहा है। शुभरात्रि! |
सुबह होते ही जब दुनिया आबाद होती है; आँख खुलते ही आपकी याद आती है; खुशियों के फूल हो आपके आँचल में; ये मेरे होंठों पर पहली फ़रियाद होती है। सुप्रभात! |
कपड़ों को समेटे हुए उठी है मगर; डरती है कहीं उन को ना हो जाए खबर; थक कर अभी सोए हैं, कहीं जाग ना जाएँ; धीरे से ओड़ा रही है उनको चादर। शुभरात्रि! |
लबों पर मुस्कान, आँखों में ख़ुशी; गम का कहीं नाम ना हो; हर दिन लाए आपके लिए इतनी ख़ुशियाँ; जिसके ढलने की कोई शाम ना हो। सुप्रभात! |
मुझे नींद की इजाज़त भी; उसकी यादों से लेनी पड़ती है; जो खुद आराम से सोता है; मुझे करवटों में छोड़कर। शुभरात्रि! |
मौसम की बहार अच्छी हो; फूलों की कलियाँ अच्छी हों; हमारे ये रिश्ते सच्चे हों; ऐ रब तेरे से बस एक दुआ है; कि मेरे यार की हर सुबह अच्छी हो। सुप्रभात! |
आप जो सो गये तो ख़्वाब हमारा आएगा; एक प्यारी सी मुस्कान आपके चेहरे पर लाएगा; खिड़की दरवाज़े दिल के खोल कर सोना; वर्ना आप ही बताओ हमारा ख़्वाब कहाँ से आएगा! शुभरात्रि! |
जब दिन की शुरुआत हो; एक दिलरुबा मेरे साथ हो; उसके हाथों में मेरा हाथ हो; और पूरा दिन प्यार भरी मुलाकात हो। सुप्रभात! |
चांदनी रात में मदहोश होने से पहले; ख्वाबों की दुनियाँ में खोने से पहले; आपको याद दिला दूँ; कलमा पढ़ लेना सोने से पहले। शुभरात्रि! |
गुलशन में भंवरों का फेरा हो गया; पूरब में सूरज का डेरा हो गया; मुस्कान के साथ आँखें खोल प्यारे; एक बार फिर से सवेरा हो गया। सुप्रभात! |