इरफ़ान उन कलाकारों में से एक थे जो मात्र अपनी उपस्थित्ति से ही स्व्रीन का जागृत करने की क्षमता रखते थे. कैमरे के सामने वे जो जादू पैदा करते थे वह असाधारण था और उनकी आवाज और बोलती आँखें हमें हर बार मंत्रमुग्ध कर देती थीं। वह आज हमारे साथ नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो किरदार निभाए हैं वो आज भी हमें प्रेरित करते हैं और आगे भी करते रहेंगे। तो पेश है, इरफान खान के सबसे प्रतिष्ठित और यादगार डायलॉग्स -
"रिश्त केसी गारंटी कार्ड के साथ साथ नहीं है" - लाइफ इन ए मेट्रो (2007)
"ये शहर हमें जितना देता है ... बादले में कहीं ज्यादा हम से ले लेता है" - लाइफ इन ए मेट्रो (2007)
`दरिया भी मैं, दरख्त भी मैं, झेलम भी मैं, चिनार भी मैं, दैर भी मैं, हरम भी हूँ, शिया भी हूँ, सुन्नी भी हूँ, मैं हूँ पंडित, मैं था, मैं हं और मैं हीरहूंगा" - हैदर (2014)
"कभी-कभी गलत ट्रेन आपको सही मंजिल तक ले जाती है" - द लंचबॉक्स (2013)
"बीहड़ में बाग़ी मिलते हैं, डकैत मिले हैं पार्लियामेंट में" - पान सिंह तोमर (2012)
"इक बार तो यूं होगा, थोडा सा सुकूं होग, ना दिल में कसक होगी, ना सर में जुनूं होग" - सात खून माफ (2011)
"हमरी से गाली पे भी ताली पड़ती है" - साहेब बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स (2013)
"मुझे लगता है कि हम चीजों को भूल जाते हैं अगर उन्हें बताने के लिए कोई नहीं है" - द लंचबॉक्स (2013)
"गलतियाँ भी रिश्तों की तरह होती हैं ... करनी नहीं पड़ती, हो जाती है" - डी-डे (2013)
"सिरफ इंसान गलत नहीं होते ... वक़्त भी गलत हो सकता है।" - डी-डे (2013)
इरफान खान का कल मुंबई में कोलन इन्फेक्शन के कारण निधन हो गया। वह पिछले 2 वर्षों से कैंसर से जूझ रहे थे और यहां तक कि हम सभी को अपने आखिरी संदेश में भी यही कहा था 'की जब ज़िन्दगी आपको लेमंस (नीम्बू) देती है तो लेमनेड ( नींबू पानी) ही बनाना मुश्किल होता है, आगे कहते हुए की "यह कठिन है, लेकिन हमारे पास और विकल्प भी क्या है"। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे।