ज़रा कल्पना कीजिए कि आप अपने घर में रोज़मर्रा की रूटीन में उलझे हुए हैं और अचानक आपको अपने घर के किसी अंधेरे कोने में किसी की मौजूदगी महसूस होती है, जो आप ही को देख रहा है। ऐसे में आप क्या करेंगे? क्वात्रा के निवासियों के साथ ऐसे ही कुछ अनुभव हो रहे हैं। क्वात्रा गांव शहरों की भीड़-भाड़ से दूर बसा है लेकिन अब इस अजनबी की मौजूदगी ने गांव वालों को हिला कर रख दिया है| इस आकृति को अक्सर लंबी काली पोशाक धारण किए हुए और कंधे पर एक रस्सी लटकाए हुए देखा गया है, और इसके हाथ में एक लकड़ी की छड़ी भी होती है। जो भी इंसान इस रहस्यमयी आकृति से अवगत होता है, वह अगले ही दिन या तो गायब हो जाता है या फिर आत्महत्या कर लेता है।
कहानीकार सुधांशु राय द्वारा जारी सीरीज़ के पहले दो भागों में इस अदृश्य इंसान ने अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए कई डरावने और खतरनाक दिखने वाले तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया है और तभी से गांव वाले खुद को सुरक्षित रखने के उपाय सोचने में लगे हैं। लेकिन एक-एक कर गांव के कई लोगों का सामना इस बदकिस्मत मंज़र से होता रहता है। आखिर कैसे चुनता है यह अदृश्य इंसान अपना शिकार और उसका असल उद्देश्य क्या है?
कहानीकार अपने दिलचस्प अंदाज़ में इस कहानी को बयान करते हुए श्रोताओं को क्वात्रा गांव ले जाते हैं, और उनकी शैली इतनी खास है कि आप इस कहानी को सुनते हुए गांव वालों के मन में घर कर चुके डर तक को महसूस कर सकते हैं। आखिरकार डिटेक्टिव बूमराह के आने से उम्मीद की किरण दिखायी देती है जो सच्चाई का पता लगाने के लिए गांव जाने का फैसला करते हैं। लेकिन क्या खुद बूमराह को अंदाज़ा है कि वह किस खतरे से खेल रहे हैं? कहीं इस 'इंविज़बल मैन' की गुत्थी सुलझाने के चक्कर में उनकी खुद की जिंदगी तो खतरे में नहीं पड़ जाएगी?
बूमराह अपने दौर के बेहद लोकप्रिय जासूसी किरदार हैं जिनसे लोग बेपनाह मौहब्बत करते हैं और उन्हें यकीन है कि बूमराह हर पेचीदे मामले को सुलझाने की कुव्वत रखते हैं। बूमराह उन पारंपरिक जासूसों से काफी अलग हैं जिनसे हम पहले भी मिल चुके हैं, और इसी तरह उनकी शैली भी औरों से बिलकुल अलग है। तो क्या आप डिटेक्टिव बूमराह के साथ 'द इंविज़बल मैन' के रहस्य पर से पर्दा उठाने के लिए तैयार हैं?