वाह री किस्मत!
संता और बंता दोनों छुट्टियां मना कर वापिस लौट रहे थे।
रास्ते में उनकी कार खराब हो गयी। काफी देर तक कोशिश करने के बाद भी कार
स्टार्ट ना हो सकी तो उन्होंने वहाँ एक मकान का दरवाज़ा खटखटाया।
एक सुन्दर सी लड़की ने दरवाज़ा खोला तो संता और बंता ने उससे शरण मांगी।
लड़की ने उन्हें अपने घर में रात को ठहरा लिया।
चार महीने बाद बंता को एक बड़ा सा मोटा कानूनी लिफाफा पोस्ट से मिला।
बंता ने लिफाफा खोला और पढ़ने के बाद तुरंत संता को फ़ोन किया।
बंता: क्यों भाई याद है तुम्हें जब हम छुट्टियां मनाने गए थे और रास्ते में हमारी कार ख़राब हो गयी थी, तब हम एक मकान में ठहरे थे।
संता: हाँ-हाँ याद है मुझे।
बंता: तो वहाँ तुमने उस लड़की के साथ कुछ किया था?
संता: हाँ यार, वो कुछ अकेली महसूस कर रही थी बस इसलिए।
बंता: और उसके पूछे जाने पर तुमने नाम और पता मेरा बता दिया था।
संता: अरे बुरा मत मानो, मैंने तो बस मज़ाक किया था।
बंता: मैं बुरा नहीं मान रहा। मैं तो तुम्हारा शुक्रिया अदा कर रहा हूँ,
क्योंकि आज सुबह उसके वकील का मुझे एक ख़त मिला है। उस लड़की का पिछले
हफ्ते देहांत हो गया है और उसने अपना वो मकान और सारी जायदाद मेरे नाम कर दी है।