शायराना इश्क़!

एक बार संता एक लड़की के घर के चक्कर लगा रहा होता है कि तभी लड़की अपने घर से बाहर निकल कर आ जाती है। यह देख संता उस से कहता है, " क्या तुम मुझसे शादी करोगी?"

लड़की: नहीं।

संता: पर क्यों।

लड़की: क्योंकि मैंने सोचा है कि मैं एक शायर से ही शादी करुँगी।

यह सुन संता जवाब देता है, "अरे तो मैं भी तो शायर ही हूँ"।

लड़की: मैं कैसे मान लूँ? अगर तुम सच में शायर हो तो कुछ सुनाओ।

संता: इतनी हिम्मत करके आया हूँ तेरे दर आ करीब आ मेरी ज़िन्दगी सुधार दे;
इतनी हिम्मत करके आया हूँ तेरे दर आ करीब आ मेरी ज़िन्दगी सुधार दे;
चूत नहीं देनी तो कोई बात नहीं कम से कम मुट्ठ ही मार दे!

संता की शायरी सुन कर लड़की का पारा सातवें आसमान पर पहुँच जाता है पर फिर भी वह कहती है, "तुम्हारी शायरी सुन कर मेरा भी मन कर रहा है कि मैं तुम्हारे प्रस्ताव का जवाब शायराना अंदाज़ में ही दूँ।"

संता: हाँ हाँ, क्यों नहीं।

लड़की: तू मेरी गली से गुजरा तो तुझे चौबारा नज़र आया;
तू मेरी गली से गुजरा तो तुझे चौबारा नज़र आया;
गांड फाड़ दूंगी भोंसड़ी के जो दोबारा नज़र आया!