किस हद तक जाना है ये कौन जानता है;
किस मंजिल को पाना है ये कौन जानता है;
दोस्ती के दो पल जी भर के जी लो;
किस रोज़ बिछड़ जाना है ये कौन जानता है।
अच्छा दोस्त तकिये के जैसा होता है;
मुश्किल में सीने से लगा सकते हैं;
दुःख में उस पे रो सकते हैं;
खुशी में गले लगा सकते हैं;
और...
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गुस्से में लात भी मार सकते हैं।
आपकी दोस्ती की एक नज़र चाहिए;
दिल है बे-घर उसे एक घर चाहिए;
बस यूँही साथ चलते रहो, ऐ दोस्त;
यह दोस्ती हमें उम्र भर चाहिए।
चाँद की दोस्ती, रात से सुबह तक;
सूरज की दोस्ती, दिन से शाम तक;
हमारी दोस्ती पहली मुलाक़ात से आखरी सांस तक।
कौन होता है दोस्त?
दोस्त वो जो बिन बुलाये आये;
बेवजह हर वक्त सर खाए;
हमेशा जेब खाली कर जाये ;
कभी सताए और कभी रुलाये;
मगर हमेशा साथ निभाए।
ज़िक्र हुआ जब खुदा की रहमतों का;
हमने खुद को खुशनसीब पाया;
तमन्ना थी एक प्यारे से दोस्त की;
खुदा खुद दोस्त बनकर चला आया।
प्यार की कमी को पहचानते हैं हम;
दुनिया के गमों को भी जानते हैं हम;
आप जैसे दोस्त का सहारा है;
तभी तो आज भी हंसकर जीना जानते हैं हम।
कुछ खोये बिना हमने पाया है;
कुछ मांगे बिना हमें मिला है;
नाज़ है हमें अपनी तक़दीर पर;
जिसने आप जैसे दोस्त से मिलाया है।
किसने इस दोस्ती को बनाया;
कहाँ से ये दोस्ती शब्द आया;
दोस्ती का सबसे ज्यादा फायदा तो हमने उठाया;
क्योंकि दुनिया का सबसे प्यारा दोस्त तो हमारे हिस्से में आया।
खुदा से कोई बात अंजान नहीं होती;
इंसान की बंदगी बेईमान नहीं होती;
कहीं तो माँगा होगा हमने भी एक प्यारा सा दोस्त;
वर्ना यूंही हमारी आपसे पहचान न होती।