सब फूलों की जुदा कहानी है;
खामोशी भी तो प्यार की निशानी है;
ना कोई ज़ख्म है, फिर भी ऐसा एहसास है;
यूँ महसूस होता है कोई आज भी दिल के पास है।

ग़म में हँसने वालों को कभी रुलाया नहीं जाता;
लहरों से पानी को हटाया नहीं जाता;
होने वाले हो जाते हैं खुद ही दिल से जुदा;
किसी को जबर्दस्ती दिल में बसाया नहीं जाता।

बिताए हुए कल में आज को ढूँढता हूँ;
सपनों में सिर्फ आपको देखता हूँ;
क्यों हो गए आप मुझसे दूर, यह सोचता हूँ;
तन्हा, यारों से छुपकर रोता हूँ।
भुला कर हमें वो क्या खुश रह पाएंगे;
साथ में नहीं हमारे जाने के बाद मुस्कुराएंगे;
दुआ है खुद से कि उन्हें दर्द ना देना;
हम तो सह गए, पर वो टूट जाएंगे।
भूल जाने का हौसला ना हुआ;
दूर रह कर भी वो जुदा ना हुआ;
उनसे मिल कर किसी और से क्या मिलते;
कोई दूसरा उनके जैसा ना हुआ!

नज़र नवाज़ नज़रों में ज़ी नहीं लगता;
फ़िज़ा गई तो बहारों में ज़ी नहीं लगता;
ना पूछ मुझसे तेरे ग़म में क्या गुजरती है;
यही कहूंगा हज़ारों में ज़ी नहीं लगता।
नफ़रत कभी ना करना तुम हमसे;
यह हम सह नहीं पायेंगे;
एक बार कह देना हमसे, ज़रूरत नहीं अब तुम्हारी;
तुम्हारी दुनियाँ से हंसकर चले जायेंगे!

हर किसी के नसीब में सच्चा प्यार नहीं होता;
सब किस्मत का खेल है,
किसी का कोई दोष नहीं होता;
मेरे नसीब में सिर्फ तड़प, जुदाई, और नफरत ही बची है, अब खुश रह नहीं होता।

पलकों के किनारे हमने भिगोए ही नहीं;
वो सोचते हैं हम रोए ही नहीं;
वो पूछते हैं कि ख़्वाबों में किसे देखते हो;
हम हैं कि एक उम्र से सोए ही नहीं।
ज़ुबान खामोश आँखों में नमी होगी;
ये बस एक दास्तां-ए ज़िंदगी होगी;
भरने को तो हर ज़ख्म भर जाएगा;
कैसे भरेगी वो जगह जहाँ तेरी कमी होगी?