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लफ़्ज़ों की तरह दिल की किताबों में मिलेंगे;
या बनकर महक गुलाबों में मिलेंगे;
मिलने के लिए ए दोस्त ठीक से सोना;
आज रात हम आप को ख़्वाबों में मिलेंगे।

पलकों पर दस्तक देने कोई ख़्वाब आने वाला है;
ख़बर मिली है कि वो ख़्वाब सच होने वाला है;
हमने कहा उसकी पलकों पर जा;
जो प्यारा सा दोस्त सोने वाला है।
शुभरात्रि!

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आकाश के तारों में खोया है जहां सारा;
लगता है प्यारा एक-एक तारा;
उन तारों में सबसे प्यारा है एक सितारा;
जो इस वक़्त पढ़ रहा है संदेश हमारा।
शुभरात्रि!

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रात काफी हो चुकी है;
अब चिराग़ बुझा दीजिए;
एक हसीं ख़्वाब राह देख रहा है आपका;
बस पलकों के पर्दे गिरा दीजिए।
शुभरात्रि!

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चाँद को बिठा के पहरे पे;
तारों को दिया निगरानी का काम;
एक रात सुहानी आपके लिए;
एक मीठा सा सपना आपकी आँखों के नाम।
शुभरात्रि!

ऐसा लगता है कुछ जा रहा है;
कोई मीठे सपनों में खोने जा रहा है;
धीमी कर दे अपनी रौशनी ऐ चाँद;
मेरा दोस्त अब सोने जा रहा है।
शुभरात्रि!

कपड़ों को समेटे हुए उठी है मगर;
डरती है कहीं उन को ना हो जाए खबर;
थक कर अभी सोए हैं, कहीं जाग ना जाएँ;
धीरे से ओड़ा रही है उनको चादर।
शुभरात्रि!

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मुझे नींद की इजाज़त भी;
उसकी यादों से लेनी पड़ती है;
जो खुद आराम से सोता है;
मुझे करवटों में छोड़कर।
शुभरात्रि!

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आप जो सो गये तो ख़्वाब हमारा आएगा;
एक प्यारी सी मुस्कान आपके चेहरे पर लाएगा;
खिड़की दरवाज़े दिल के खोल कर सोना;
वर्ना आप ही बताओ हमारा ख़्वाब कहाँ से आएगा!
शुभरात्रि!

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चांदनी रात में मदहोश होने से पहले;
ख्वाबों की दुनियाँ में खोने से पहले;
आपको याद दिला दूँ;
कलमा पढ़ लेना सोने से पहले।
शुभरात्रि!

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