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मित्र बनाने में धीमे रहिये और बदलने में और भी!

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मित्र वो है जिसके शत्रु वही हैं जो आपके शत्रु हैं।

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हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है।ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो। यह कड़वा सच है।

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मित्रता हमेशा एक मधुर ज़िम्मेदारी है, अवसर कभी नहीं।

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मित्रता करने में धीमे रहिये, पर जब कर लीजिये तो उसे मजबूती से निभाइए और उस पर स्थिर रहिये!

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मित्र बनाने में धीमे रहिये और बदलने में और भी!

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व्यवसाय पर आधारित मित्रता, मित्रता पर आधारित व्यवसाय से बेहतर है|

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जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है|

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जो सभी का मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है।

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ये प्यार की कमी नहीं, बल्कि दोस्ती की कमी है जो शादियों को दुखदायी बनाती है।

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