क्रोध को क्रोध से काबू नहीं किया जा सकता है। यदि कोई आपको क्रोध दिखाता है और आप भी बदले में उसे क्रोध दिखाते हैं तो इसका परिणाम विपत्ति होता है।
क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है!
क्रोध एक तरह का पागलपन है!
एक क्रोधित व्यक्ति अपना मुंह खोल लेता है और आँख बंद कर लेता है!
क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है।
क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है।
क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकड़े रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं!
मनुष्य का सबसे बड़ा यदि कोई शत्रु है तो वह है उसका अज्ञान|
दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती।
नफ़रत नापसंदगी की तुलना में अधिक स्थायी होती है|